पुस्तकालय की अवधारणा एवं परिभाषाएँ (Conceptand Definitions of Library)


पुस्तकालय के लिए ग्रंथागार, ग्रंथालय, पोथीखाना, कुतुबखाने, किताब घर, लाइब्रेरी आदि शब्द हमारे देश में प्रचलित हैं।  

Conceptand Definitions of Library
Conceptand Definitions of Library
ग्रंथालय और पुस्तकालय अंग्रेजी शब्द लाइब्रेरी के पर्याय के रूप में प्रचलन में है। लाइब्रेरी शब्द लैटिन के Libraria शब्द (जो रोमन शब्द Liber [पुस्तक] से बना है। ) से बना है ।
            जर्मन में   Bibliotheck   
स्पेनिश में     Bibliotheca  
फ्रेंच में      Bibliotheque शब्द पुस्तकालय हेतु प्रचलित हैं।
इसी प्रकार बेल्जियम, फ्रांस, इटली, हालैण्ड, स्विट्जरलैण्ड, डेनमार्क, स्वीडेन, नार्वे, स्पेन, जर्मनी आदि में Bibliothek शब्द का ही प्रयोग मिलता है।
हिन्दी और संस्कृत के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में पुस्तकालय के लिए तेलगू में ग्रंथालयम, तमिल में नुल्लियम, मलायम में ग्रंथशाला और ग्रन्थालय, और उर्दू में दाऊल मुतालया शब्दों का प्रयोग चलता रहा है।

अंग्रेजी शब्द ‘लाइब्रेरी‘ लैटिन और फ्रेंच के निम्न दो शब्दों से बना है                                   
    लैटिन Libreria or Librararius  [=of books]     
   फ्रेंच % Libra, Liber [=of books] + arius-ary [of ]  
लिबर का अर्थ पेड़ के तने का छाल है । प्राचीन काल में चूँकि छाल लिखने के काम में लिया जाता था, लिबर शब्द पुस्तक के अर्थ में रूढ़ हो गया । ‘एरिअस‘ और वाद उसका परिष्कृत प्रत्यय ‘एरी‘ को लिवर शब्द के साथ जोड़कर ‘लाइब्रेरी शब्द बनाया गया। ‘एरी‘ प्रत्यय का अर्थ ‘का‘ है । इस तरह पुस्तक रखने का स्थान पुस्तकालय कहलाया । लाइब्रेरी शब्द का यही मूल अर्थ है ।

हिन्दी शब्द ‘पुस्तकालय‘ निम्न दो शब्दों से बना है।

              पुस्तक + आलय (घर)  

पुस्तकालय में सर्वप्रथम जाने पर वहाँ मुख्य रूप से तीन चीजें देखने में आती

 1.      पुस्तकों का संग्रह 
 2.      पाठकों द्वारा उसका उपयोग और                 
 3.      प्रभावशाली ढंग से उसके उपयोग हेतु कर्मचारियों द्वारा विविध कार्य । 
यूनेस्को की परिभाषा निम्न दी-प्रकाशित पुस्तक और पत्रिकाओं तथा अन्य पाठ्य एवं श्रव्य- दृश्य सामग्रियों का एक संगठित संग्रह और कर्मचारियों की उन को जो ऐसी सामग्री सेवाओंयों को, उनके उपयोग करने वालों की सूचना, शोध. शैक्षणिक या मनोरंजक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आवश्यक है, प्रदान करने और उनकी व्याख्या करने में समर्थ है‘‘ पुस्तकालय कहते हैं।


पुस्तकालय की अवधारणा का उत्थान एवं विकास Growth and Development of Library Concept



पुस्तकालय की अवधारणा का सूत्र हमें ईसा पूर्व के यूनान (Greece) के इतिहास से प्राप्त होता है । जहाँ प्राचीन एलेक्जेण्डरिया में ईसा से तीन शताब्दी वर्ष भी पुस्तकालयों का उल्लेख मिलता है ।

प्राचीन मिस्र के पूजा स्थलों में और अभिलेखागारो के पुस्तकालयों के पर्याप्त प्रमाण मिलते हैं असीरिया-बेबीलोन की सभ्यता के इतिहास ’ असुरबानीपाल के प्रतिष्ठित पुस्तकालय का विस्तृत विवरण मिलता है ।

असुरबानीपाल (668-626 बीसी) के पुस्तकालय की पुस्तकें विषयों के अनुसार सुन्दर ढंग से व्यवस्थित की गयी थीं । पुस्तकों की स्थिति को निर्दिष्ट करने के लिए उन पर मुद्रांक अंकित रहता था । पुस्तक सूचियाँ पुस्तकों के उपयोग में सहायक होती थीं।
परन्तु प्राचीन यूनान, रोम आदि के पुस्तकालय की स्थापना का मूल उद्देश्य राज्य तथा चर्च की सेवा करना, अपने संस्थापक के यश की वृद्धि करना तथा कालान्तर में सर्वसाधारण के लिए वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार करना भी पुस्तकालयों के उद्देश्यों में जुड़ गया। अर्थात् धीरे-धीरे पुस्तकालयों की स्थापना व्यक्तिगत हित न रहकर सामान्य हित की हो गई हैं।

मुद्रण कला के आविष्कार तथा उसके प्रसार एवं प्रजातांत्रिक विचारधाराओं के उदय और प्रचार ने आधुनिक युग में कमशः प्राचीन पुस्तकों के उपयोग को बढ़ाया । धीरे-धीरे मुद्रित पुस्तकों की संख्या बढ़ती गयी । सामान्य शिक्षित जनता के लिए वे उपलब्ध होने लगीं । इन सबके कारण विद्वानों की संख्या बढ़ी, नये-नये शास्त्रों का सृजन होने लगा।

18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप जनता अपने अधिकारों के प्रति और जागरूक हो गया और मानवतावादी विचारधारा चारों ओर फैलने लगी । देश-विदेश की सभ्यता और संस्कृति को नये तरीकों से सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत किया जाने लगा  इन पुर्नजागरण ने व्यक्ति, समाज और राष्ट्र को ज्ञान के बाहर पुस्तकों का अधिकाधिक उपयोग क्रमशः आवश्यक कर दिया विभिन्न प्रकार के माध्यमों से उनका प्रकाशन और प्रचार होने लगा।

इस प्रकार देश की परिष्कृत सभ्यता और संस्कृतियों के अस्तित्व, प्रचार और प्रसार के लिए 19वीं शताब्दी के अन्त तक पुस्तक और उसके अन्य रूप अत्यावश्यक साधन सिद्ध हुए।

20वीं शताब्दी में तो पुस्तकालय का रूप ही परिवर्तन हो गया । अब पुस्तकालय में न केवल पुस्तकों का ही संग्रह किया जाने लगा अपितु ज्ञान के प्रचार व प्रसार के लिए माइक्रो फिल्म, वीडियो कैसेट, कम्प्यूटर, टी. वी. आदि का उपयोग किया जाने लगा।

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