Generations of Computer - कंप्यूटर की पीढियां


विभिन्न पीढी के कम्प्यूटर को उनकी पीढियों के माध्यम से जाना जाता हैं कम्प्यूटर के विकास को पाॅच पीढियों के अन्तर्गत वर्गीकृत किया गया हैं ।

प्रथम पीढी  First Generations – 

1942  से 1956 प्रथम पीढी के कम्प्यूटर निर्माण इलैक्ट्रोनिक ट्यूबो जिन्हे वाॅल्ब भी कहा जाता था के द्वारा किया गया इस पीढी के कम्प्यूटरर्स एनिएक Eniac कहलाए इसका आविष्कार पेनिसिलवेनिया विष्वविद्यालय मूर स्कूल आॅफ इंजिनियरिगं में जें पी अकर्ड़ तथा जाॅन माॅचली के द्वारा किया गया इसको बनाने हेतु 18000 वैक्यूम ट्यूबका प्रयोंग किया गया इसका वजन 3 टन व लागत 5 लाख अमेरिका ड़ाॅलर थी यह लगभग 300 गणनाएॅ 1 सैकण्ड में करने में सक्षम था

First Genration Computer in Hindi
First Genration Computer
इस पीढी की निम्न विषेषताए रही हैं।

        1       इस पीढी के कम्प्यूटर आकार में बहुत बडे थे तथा अत्यधिक जगह घेरने वाले थें
        2       बडे आकार ओर वैक्यूम ट्यूब के कारण ये अधिक ऊर्जा उत्सर्जित करता थां ।
        3       अत्यधिक महगंे होने के कारण इनका उपयोग विषेष कार्यो के लिए किया जाता था
        4       इनमें प्रयुक्त प्रणाली बहुत जटिल थी
        5       ये मषीनी व असेम्बली भाषा पर कार्य करते थें ।
        6       इनकी गती अत्यधिक धीमी थी
        7       आंतरिक संरचना व जटिलता के कारण केवल प्रषिक्षित लोग ही इन्हे प्रयोग में लेते थें ।

द्वितीय पीढी  Second Generations – 1956-1965 

सन् 1940 में विलियम शाॅकली द्वारा अमेंरिका की बेल प्रयोगषाला में ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया गया यह ट्रांजिस्टर आकार में बहुत छोटे होते थें जो कि थोडी सी विधुत से ही एक वैक्यूम ट्यूब के समान कार्य करते थें ये सेमी कण्डक्टर (अर्धचालक) तकनीक पर आधारित थें इन कम्प्यूटर्स में लगभग 10,000 ट्रांजिस्टर का उपयोंग किया गया अतः ये आकार में पहले से अधिक छोटे थें ।
Transister in Hindi
ट्रांजिस्टर
द्वितीय पीढी के कम्प्यूटर्स की निम्न विषेषताए रही हैं

    1.     ट्रांजिस्टर आकार में छोटे ओर अधिक विष्वसनीय हो गये
    2.     ट्रांजिस्टर के प्रयोग से कम्प्यूटर का आकार छोटा हो गया
    3.     इनके कार्य करने की गति अधिक थी
    4.     इनमें होने वाला विधुत खर्च पहले कि अपेक्षा कम था
    5.     यह पहले की भांति बहुत अधिक ऊर्जा उत्सर्जित नही करते थे
    6.     इनमें संग्रहण रूप में मेगनेटिक कोर ,,,, मैगनेटिक टेप एंव मेगनेटिक ड़िस्क आदि का प्रयोग किया जाने   लगा
    7.     इसमें असेम्बली भाषा व उच्चस्तरीय भाषाओं जैसे इंेपब ए वितजतवदए बवइवस  आदि का प्रयोग किया जाता था।

तृतीय पीढी  Third Generations 1965- 1975  

अधिक विषिष्ट प्रणाली के साथ तृतीय पीढी मंे  IC - Integrated Circuit  का प्रयोग किया गया यह सिलीकान की एक छोटी सी चिप थी जिस पर सैकड़ो ट्रांजिस्टर एक साथ बनाना संभव हो पाया जिससे कम्प्यूटर्स का आकार काफी छोटा हो गया तथा गति काफी बढ गई इस पीढी में इनपुट,आउटपुट यंत्रों का विकास हुआ । जैसे माॅनिटर ,इस पीढी के कम्प्यूटर प्रति सैकण्ड़ 10 लाख गणनाऐ करने में सक्षम थें।

IC ( Integrated Circuit )
IC - Integrated Circuit 
इस पीढी के कम्प्यूटर्स की विषेषताए

    1.     कम्प्यूटर का आकार पिछली पीढीयों की तुलना में काफी छोटा हो गया
    2.     IC के प्रयोग से ये कम्प्यूटर अधिक विष्वसनीय हो गयें
    3.     इन कम्प्यूटर्स की कार्यकुषलता बहुत अधिक बढ गई
    4.     अब नैनो सैकण्ड़ गणनाएॅ सम्पन की जाने लगी
    5.     कम्प्यूटर्स की लागत पहले की अपेक्षा ओर अधिक कम हो गई
    6.     IC के प्रयोग ने इन कम्प्यूटर्स की गति ओर बढ़ा दी
    7.     इस पीढी में उच्चस्तरीय भाषाओ का प्रयोग किया जाता था

चतुर्थ पीढ़ी  Forth Generations - 1975- 1985 

इस पीढी के कम्प्यूटर्स में LSIC - Large scale integrated circuit or VLSIC - Very Large scale integrated circuit का प्रयोग किया गया इस नई तकनीक को माइक्रो प्रोसेसर कहा गया ये चिप काफी शक्तिषाली थी इनके प्रयोग से छोटे ओर सस्ते कम्प्यूटर्स का विकास संभव हुआ । पहला माइक्रो प्रोसेसर इन्टेल काॅर्पोरेषन केद्वारा बनाया गया यह 4 बिट माइक्रो प्रोसेसर था इन कम्प्यूटर का उपयोग षिक्षा, चिकित्सा ,व्यापार आदि के क्षेत्रो में अधिक होने लगा उच्चस्तरीय भाषाओ के रूप में पास्कल ,सी आदि का प्रयोग किया जाने लगा

इस पीढी की विषेषता

    1.     कम्प्यूटर आकार में अत्यधिक छोटे हो गए।
    2.     इनकी लागत ओर अधिक कम हो गई
    3.     इस पीढी के कम्प्यूटर्स की शुद्वता व गति पिछली पीढीयों की तुलना में बढ गई
    4.     इस पीढी के कम्प्यूटर्स की मैमोरी सेमी कण्डक्टर तकनीक पर आधारित थी ।
    5.      कई उच्चस्तरीय भाषाओ का प्रयोग किया जाने लगा जेसे - pascal , c 

पंचम पीढ़ी Fifth Generations 1985 से अब तक

इस पीढी में वैज्ञानिको ने एक नई विचार धारा को जन्म दिया जिसे कृत्रिम बुद्विहीनता कहां जाता हैं इसके अन्तर्गत वैज्ञानिक इस तरह के कम्प्यूटर्स प्रोग्राम विकसित करने की ओर अग्रसर हैं जिनके द्वारा कम्प्यूटर मे मानव के बुद्धी एव निर्णय क्षमता का विकास किया जा सके ।

इस पीढी के कम्प्यूटर्स की विषेषताएँ

    1.     इस पीढी में इन्टरनेट का प्रयोग किया जाने लगा हैं
    2.     प्रोसेसिंग गति अत्यधिक तीव्र हो गई है।
    3.     संग्रहण माध्यम के रूप में आॅप्टिकल मैमोरी को प्रयोग मे लिया जाने लगा हैं
    4.     उच्चस्तरीय भाषाओ के रूप में java, C++ आदि का प्रयोग किया जाने लगा हैं

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