पुस्तकालय अधिनियम


एषियाई देषों में सबसे पहले जापान 1899 में पुस्तकालय पारित किया गया। 2 नवम्बर 1789 में फ्रांस में पहला पुस्तकालय अधिनियम पारित किया गया। 1852 में मैनचेस्टर में सार्वजनिक पुस्तकालय स्थापना हुई। पुस्तकालय अधिनियम का इतिहास 19 वीं षताब्दी के मध्य प्रारम्भ होता है। विष्व के 108 देषो एवं राज्यों में पुस्तकालय अधिनियम लागु किये जा चुके है। विष्व का सर्वप्रथम पुस्तकालय अधिनियम 1850 ई. में इग्लैण्ड़ में पारित हुआ। ब्रिटिष म्युजियम में कार्यरत सहायक एडवर्ड एडवर्डस ने प्रयत्न कियाइस अधिनियम इवर्ट एक्ट  के नाम प्रसिद्ध है। ग्रंथालय विज्ञान का दूसरा सूत्र ‘प्रत्येक पाठक को उसकी उसकी अभीष्ट पुस्तक मिले राज्य पर दायित्व ड़ालना है। भारत में पुस्तकालय अधिनियम दिषा में कार्य स्वतंत्रता प्राप्ति के पष्चात् डाॅ. एस आर रंगनाथन का महत्वपूर्ण योगदान है।

Library Science With Rakesh Meena


युनेस्को लाइबे्ररी मेनीफेस्टो ने भी पुस्तकालय अधिनियम बनाने पर जोर दिया। इस विषय पर सिन्हा कमेटी 1957 जिसकी रिपोर्ट 1961 में प्रकाषित की गई। चट्टोपाध्याय समिति की अनुषंसा की प्रत्येक राज्य में पुस्तकालय अधिनियम बनाया जाए

UNESCO Regional Seminar on Library Development South Asia  Delhi ने पुस्तकालय विधि निर्माण की विषेषता बताई

अधिनियम


1.    मद्रास (10%) 1948 - संषोधित रूप से लागू 15 नवम्बर 1955 
2.    आन्ध्रप्रदेष (8%) 1960-  25 फरवरी 1960 
3.    कर्नाटक (5%)  1965  -  30 अप्रेल 1965 
4.    महाराष्ट्र  1967   -  20 दिसंबर 1967 
5.    पष्चिम बंगाल  (1979)  -  7 जनवरी 1979
6.    मणिपूर   (1988) 
7.    हरियाणा  (1989)  -  25 सितम्बर 1989 
8.    केरेला  (1989)  -  18 मई 1989
9.    गोवा  (1993)  - 26 नवम्बर 1993  
10.  मिजोरम  (1993) - 10 मार्च 1993  
11.  उडिसा  (2001) - 11 मार्च 2001
12.  गुजरात (2001) - 1 सितम्बर 2001
13.  उत्तराखण्ड     (2005) - 26 अप्रेल 2005 
14.  उतरप्रदेश (2006)  - 04  सितम्बर 2006  
15.  राजस्थान  (2006)  - 22 अप्रेल 2006  
16.  लक्ष्यद्विप  (2007)
17.  बिहार (2008)  -  23 अप्रेल 2008 
18.  छत्तीसगढ (2008)  - 10 सितंबर 2008 
19.  अरूणाचल प्रदेश  (2009)  - 04 नवंबर 2009 

विष्व का सर्वप्रथम पुस्तकालय अधिनियम 1850 ई. मे इंग्लैण्ड मे लागु हुआ।

विष्व के 108 देषो एवं राज्यो मे पुस्तकालय अध्निियम लागु किये जा चुके है। पुस्तकालय और इससे सम्बन्धित सूचना को बनाये रखने के लिए राज्य मे पुस्तकालय अधिनियम की आवष्यकता होती है। सर्वप्रथम पुस्तकालय अधिनियम की परिकल्पना रंगनाथन ने 1930 मे की। रंगनाथन ने राज्यो मे पुस्तकालय अधिनियम पारित करवाने के लिए पुस्तकालय विधेय का प्रारूप बनवाकर वहाॅ केे तत्कालीन प्रषासको तथा राजनैतिओ को इसके लिए प्रस्तुत किया एवं सम्पूर्ण राष्ट्र का पुस्तकालय विधेयक (माॅडल लाइबे्ररी बिल) बनाया। भारत के 19 राज्यो मे सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित हो चुका है।

राज्य पुस्तकालय के लिये 5 मापदण्ड निष्चित किये गये है जो निम्न है -

(1) पुस्तकालयो तक सार्वजनिक पहुॅच।
(2) आवष्यक संरचना का विकास।
(3) अभिषासन प्रणाली कर स्थापना।
(4) वित्तिय प्रबंधन के लिए प्रावधान।
(5) स्वप्रतिवेदन तथा नियंत्रण का आयोजन।

भारत के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान के प्रणेता डाॅ. रंगनाथन ने कहा है कि पुस्तकालय प्रणाली की स्थापना एवं प्रबंध कानूनी आधार पर होना चाहिये। पुस्तकालय की स्थापना, संचालन एवं विकास के लिए राज्य के द्वारा जो विधेय पारित किया जाता है उसे पुस्तकालय अध्निियम कहते है। पुस्तकालय विज्ञान का द्वितीय सुत्र प्रत्येक पाठक को उसकी वांछित सामग्री मिले इस सत्र द्वारा अधिनियम को सन्तुष्ट किया जा सकता है। डाॅ. रंगनाथन का कहना है कि अधिनियम के तहत पुस्तकालय की स्थापना पब्लिक फाइनेंस पर आधारित होती है।

तमिलनाडू/मद्रास सार्वजनिक पुस्तकालय अध्निियम - 1948:-
स्वतंत्र भारत का पहला सार्वजनिक पुस्तकालय अध्निियम है। सार्वजनिक पुस्तकालय के लिए एक निर्देषक की नियुक्ति का प्रावधान इसके लिए 1972 मे अलग विभाग बना दिया।
प्रत्येक स्थानीय पुस्तकालय प्राधिकरण सम्पत्ति कर तथा ग्रह कर पर पैसे प्रति रूपया की दर से पुस्तकालय कर 10 प्रतिशत वसुलेगा।
मद्रास पुस्तकालय तमिलनाडू तथा कोन्नेमेरा सार्वजनिक पुस्तकालय को राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय का दर्जा दिया गया।
मद्रास अधिनियम प्रेस एवं रजिस्ट्रेषन बुक्स एक्ट 1967 के अनुच्छेद 9 तथा सेन्ट्रल एक्ट 1867 को संषोधित कर यह प्रावधन किया गया कि राज्य मे स्थित प्रत्येक मुद्रक अपनी प्रत्येक पुस्तक की 5 प्रतियाॅ राज्य सरकार को देगा। जिनमे से 4 प्रतियाॅ राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय मद्रास ( मद्रास पुस्तकालय तमिलनाडू एवं कोनेमेरा सार्वजनिक पुस्तकालय ) मे जमा की जायेगी।

आन्ध्र प्रदेष सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम (1960):-
संषोधन - 1964, 1969, 1987, 1989 मे हुआ।
समपत्ति कर तथा ग्रह कर पर 8 पैसे प्रति रूपये की दर से स्थानीय निकायो द्वारा पुस्तकालय कर वसूलेगा।
षहर जिला केन्द्रीय पुस्तकालय के पुस्तकालय अध्यक्ष नगर जिला पुस्तकालय संस्था के पदेन सचिव का कार्य करेगे।
यह अधिनियम पूर्व के मद्रास एक्ट तथा हैदराबाद एक्ट की तुलना मे अधिक कारगर उपयोगी है।

मैसूर/कर्नाटक सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम (1965):-
यह अप्रेल 1966 से लागु किया गया।
राज्य पुस्तकालय प्राधिकरण बोर्ड के गठन का प्रावधान है जिसका अध्यक्ष राज्य का षिक्षा मंत्री होगा।
प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेषन बुक्स एक्ट 1867 के प्रावधानो को संषोधित रूप से लागु करना।
यह रंगनाथन के माॅडल लाइब्रेरी एक्ट पर आधारित है।
राज्य के राजस्व के किसी भी मद के उपर लगाये गये अधिभार के रूप मे पुस्तकालय अधिकर लगाने के प्रावधान है।

पष्चिम बंगाल (1979):-
यह अधिनियम मद्रास अध्निियम की काॅपी/प्रतिकृति है।
इस अधिनियम मे सार्वजनिक पुस्तकालय के लिए स्वतंत्र विभाग बनाया गया है जिसकी सदस्य संख्या 27 रखी गई है।
इस अधिनियम की प्रमुख विषेषता यह है कि इसमे पुस्तकालय अधिकर लगाने का प्रावधान नही है।
राज्य सरकार पुस्तकालय का रखरखाव सरकारी कोष से करती है।
सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली के बारे मे सरकार को सलाह देने के लिए राज्य के पुस्तकालय के प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता मे राज्य पुस्तकालय परिषद का गठन किया जायेगा।

मणिपुर (1988):-
इस अधिनियम का प्रारूप तैयार कर सन् 1988 मे राज्य विधानसभा मे प्रस्तुत किया गया।
पुस्तकालय अधिकर वसूल नही किया जायेगा।
इसमे राज्य मे एक पृथक सार्वजनिक विभाग गठन करने का प्रावधान किया गया है।
इस अधिनियम मे ग्रंथालय कोष का निर्माण राज्य सरकार के अनुदान से होगा।

हरियाणा (1989):-
हरियाणा सार्वजनिक अधिनियम के तहत राज्य सरकार के प्रत्येक स्तर पर पुस्तकालय कोष का निर्माण किया गया है।
इस अधिनियम मे सम्पत्ति तथा भवन कर के सरचार्ज के रूप मे पुस्तकालय अधिकर वसुलने का अधिकार रखता है।
प्रत्येक षहर जिसकी जनसंख्या 1 लाख से अधिक हो तथा प्रत्येक कस्बा जिसकी जनसंख्या 1 लाख से अधिक ना हो के लिए क्रमषःषहर व पुस्तकालय समितीयो के संविधान का निर्माण राज्य के केन्द्रीय पुस्तकालय की स्थापना करना तथा राज्य स्तर पर संदर्भ तथा ग्रंथ आदान-प्रदान विभाग का प्रावधान करना।

महाराष्ट्र (1967):-
राज्य सरकार द्वारा राज्य पुस्तकालय परिषद के गठन का प्रावधान तथा अध्यक्ष षिक्षा मंत्री होगा।
राज्य सरकार प्रत्येक वर्ष पुस्तकालय के लिए पुस्तकालय कोष मे कम से कम लाख रूपये का अनुदान करेगी।
इस अधिनियम मे कर का प्रावधान नही है।
महाराष्ट्र राजकीय पुस्तकालय सेवा की स्थापना इस सेवा के सभी सदस्यो को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देंगे।

गुजरात (2001):-
पदेन अध्यक्ष के रूप मे पुस्तकालय के प्रभारी मंत्री के साथ राज्य पुस्तकालय विकास परिषद् का संविधान के गठन का प्रावधान।
उत्तराखण्ड (2005):-
इस अधिनियम के अधीन राज्य पुस्तकालय समिती का अध्यक्ष षिक्षा मंत्री तथा उपाध्यक्ष प्रमुख सचिव होते है।
एक प्रभारी के रूप मे संयुक्त उपनिदेषक के साथ षिक्षा विभाग ने सार्वजनिक पुस्तकालय कक्ष का संविधान।

राजस्थान (2006):-
इसमे राज्य पुस्तकालय का अध्यक्ष पुस्तकालय का प्रभारी मंत्री तथा उपाध्यक्ष षासन सचिव होता है।
प्रत्येक स्तर के पुस्तकालय को परामर्ष देने के लिए पुस्तकालय सलाहकार समिति गठित करने का प्रावधान है।

उत्तरप्रदेष (2006):-
दो राज्य स्तरीय पुस्तकालय की स्थापना  (1) इलाहाबाद मे राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय, (2) राज्य संदर्भ पुस्तकालय लखनऊ
राज्य पुस्तकालय परिषद गठित करने कर प्रावधान अध्यक्ष माध्यमिक षिक्षा विभाग का मंत्री होगा।
इस अधिनियम मे सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना एवं विकास योजनाओ हेतु राज्य के केन्द्रीय एवं अकेन्द्रीय वार्षिक बजट तथा पंचवर्षीय योजना के माध्यम से वित्तिय कोष निर्मित करने का प्रावधान है।

केरल (1989):-
राज्य ग्रंथालय परिषद् भवन कर अथवा सम्पत्ति कर पर अधिभार के रूप मे ग्रंथालय उपकर 5 पैसे प्रति रूपये की दर मे।
त्रिवेन्द्रम पब्लिक लाइब्रेरी को राज्य के राज्य पुस्तकालय का दर्जा देने का प्रावधान तृतीय पंचवर्षीय योजना के अनुसार।
केरल सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम की प्रमुख विषेषता - इसका लोकतांत्रिक तथा विकेन्द्रीकृत स्वरूप होता है। इस अधिनियम मे सभी समितीओ के सदस्य के रूप मे कम से कम महिला का होना तथा एक-एक व्यक्ति अनुसुचित जाति तथा अनुसुचित जनजाति का होना ।



गोवा सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम (1993):-
गोवा के राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय का नाम बिब्लियोग्राफी नेसनरल डे नोवा गोवा है।
इस अधिनियम मे सभी पुस्तकालय कर्मचारी को सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्रदान किया जायेगा (महाराष्ट्र मे भी)।
सार्वजनिक पुस्तकालय के उत्थान हेतु षिक्षा बजट का 1 प्रतिषत प्रदान केरगी।
इस अधिनियम के अनुसार राज्य पुस्तकालय परिषद जिसके अध्यक्ष पुस्तकालय के प्रभारी मंत्री होंगे।



मिजोरम (1993):-
इस अधिनियम के तहत राज्य की जनता से किसी भी प्रकार का ग्रंथालय कर वसुल नही किया जायेगा।
सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना विकास एवं रखरखाव सम्पूर्ण खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।

उडीसा (2001):-
इस अधिनियम के अधीन निर्देषालय प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेषन बुक्स एक्ट 1867 के तहत राज्य मे प्रकाषित पुस्तको की निःषुल्क प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार होगा।
ग्रंथालय के विकास के लिए पुस्तकालय वित्तिय कोष गठित करने का प्रावधान किया गया है।

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