प्रतिलिप्याधिकार | Copyright in hindi


भारत में प्रतिलिप्याधिकार 1957 इसे 1983, 1984, 1992, 1994, और 1999 में संशोधन किया गया

भारत में सरकार ने 1847 तथा 1919 में काॅपीराइट एक्ट पास किये इस एक्ट ने 1957 में काॅपीराइट कानून का रूप ले लिया यह कानून 21 जनवरी 1958 से लागू किया गया

काॅपीराइट की अवधि लेखक के सम्पूर्ण जीवनकाल तक तथा उसकी मृत्यू के 60 वर्ष बाद तक रहती है। जबकि अंतराष्ट्रीय काॅपीराइट में यह अवधि 70 वर्ष है।

काॅपीराइट के एक्ट के उल्लघन पर दण्ड़ का प्रावधान:- यदि कोई व्यक्ति गैर कानूनी तरीके से अथवा बिना लेखक की अनुमति प्राप्त किये बिना उल्लंघन करता है। तो उसको कम से कम 6 माह और अधिक से अधिक 3 वर्ष का कारावास तथा कम से कम 50 हजार रूपये तथा अधिक से अधिक 2 लाख रूपये जुर्माने की सजा है।

Rakesh Meena
प्रतिलिप्याधिकार 
बौद्धिक सम्पदा का अधिकार:-
1. ड़िजाइन कानून:-

सामान्य रूप से ड़िजाइन का अर्थ किसी योजना,प्लान,अथवा सृृजनात्मक कला से है। परन्तु कानूनी भाषा में इसका अर्थ भिन्न होता है जो कि पंजीकृृत ड़िजाइन अथवा ड़िजाइन के अधिकार से संबंधित होता है।

1. पंजीकृृत डिजाइन:- का अर्थ किसी उत्पाद का पूर्ण रूपेण अथवा दिखाई देने वाले निम्न भाग अथवा प्रकार अथवा विशेषताओं को एंकाकी अधिकार प्रदान करता है। रेखाएं, कन्टूर, रंग,  आकार, टेक्चर, सामग्री आदि है। पंजीकृत ड़िजाइन में अधिकतर प्रारंभ में 5 वर्ष के लिए एवं प्रत्येक वर्ष बाद रिनुअल अधिकतम 52 सालों तक किया जाता है।

2. ड़िजाइन अधिकार:- यह एक बौद्धिक सम्पदा का अधिकार है। जो किसी उत्पाद के वास्तविक, असामान्य स्थल आकार, मापदण्ड़ों की ड़िजाइन पर लागू होता है। ड़िजाइन अधिकार कोई एकांकी अधिकार नहीं है। बल्कि यह प्रतिलिपिकरण को रोकने का अधिकार है। जो कि विपणन उत्पादों की ड़िजाइन को दस साल अथवा अधिकतम 15 साल के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।

भारत में ड़िजाइन अधिनियम 1999 (The Design Act 1999) यह अधिनियम ड़िजाइन के व्यापारिक, वाणिज्यिक उपयोग की रक्षा करता है। ध्यान यह रखना चाहिए कि इसमें कोई वस्तु कैसे कार्य करती है। इसे संरक्षित नहीं किया गया है।

2. विश्वास भंग करने का कानूनः-

यह किसी राज्य एवं उसके प्रशासन के व्यक्तिगत व्यापार अथवा औद्योगिक मसलों के विभिन्न प्रकार के गोपनीय तथ्यों से संबंधित कानून है। जो कि गोपनीय जानकारी की सुरक्षा के लिए अधिकार प्रदान कराता है।

3. टेªडमार्क:-

भारत में The Trade – and Merchandise Marks Act, 1958 था। एक नए टेªडमार्क अधिनियम 1999 (Trademarks Act 1999) को लाया गया। पुराने अधिनियम के स्थान पर नया अधिनियम लागू किया गया।

ट्ेªड़मार्क एक विशेष चिन्ह है। जो कि शब्द, लोगों, रंग, स्लोगन, आकार, आवाज, आकृति द्वारा भाव प्रदर्शन हो सकते है। प्राथमिक तौर पर यह सामग्री के स्त्रोत अथवा सेवा को इंगित/ प्रदर्शित करते है। साथ ही यह किसी सामग्री अथवा सेवा की गुणवत्ता को प्रदर्शित करने हेतु भी उपयोग में लाए जाते है। अधिकतर टेªड़मार्क शब्दों के रूप में प्रदर्शित किए जाते है। जो कि प्रत्येक उत्पाद एवं सेवा के लिए भिन्न- भिन्न होते है। जैसेः- आई.एस.ओ.आई. एस.आई. ए एफ.पी. ओ. इत्यादि।

4. पेटेन्टः-

बौद्धिक सम्पदा का अधिकार मस्तिष्क द्वारा उपजी अनमोल कृति जो चिंतन, अध्यात्म, खोज, अनुसंधान से नये अविष्कार, ज्ञान, शोध की खोज को सुरक्षा एवं स्वामित्व प्रदान करता है। अतः पेटेन्ट एक ऐसा कानूनी अधिकार है। जो खोजकत्र्ता, अनुसंधानकर्ता को सरकार द्वारा उसके द्वारा खोजी गई खोज, अविष्कार को एक निश्चित अवधि तक उसका पुरस्कार स्वरूप उसके उपयोग करने का अधिकार प्रदान करता है।

अतः पेटेन्ट सरकार द्वारा अनुसंधानकर्ता, अविष्कारक को उसके अविष्कार खोज को उपयोग करने, लाभ उठाने हेतु एक निश्चित समयवधि हेतु प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाता है। ताकि उसे उसकी मेहनत का पुरस्कार स्वरूप लाभ मिल सके यदि कोई व्यक्ति पेटेन्ट का उल्लंघन करते है। अथवा अवैधानिक रूप से पेटेन्ट की गई खोज का उपयोग करता है। तो उसे न्यायालय के माध्यम से उसे रूकवा सकता है। अथवा दण्ड़ित करवा सकता है।

सामान्यतः यह धारणा है। कि पेटेन्ट तकनीकी को आगे बढ़ाता है। तथा आगे बढ़ाने हेतु प्रोत्साहन प्रदान करता है। किन्तु कुछ लोगों का मानना है। कि यह तकनीकी प्रगति में बाधक है। अतः दोनों दृृष्टिकोण से पेटेन्ट यह संतुलन बनाता है। कि अविष्कार, ,खोज, के बेहतर इस्तेमाल का उपयोग कर देश में आर्थिक,सामाजिक प्रगति संभव हो तथा यह बाधा न बने।

भारत में पेटेन्ट कानूनः-

      1956 का अधिनियम VI
1859 का अधिनियम गअ
पैटर्नस्  एण्ड़ ड़िजाइन प्रोटेक्शन अधिनियम, 1872
अविष्कार संरक्षण अधिनियम 1883
अविष्कार और ड़िजाइन अधिनियम, 1888
भारतीय पेटेन्ट और ड़िजाइन अधिनियम, 1911
भारतीय पेटेन्ट अधिनियम, 1970
निरसन और संशोधी अधिनियम 1974
द ड़ेलीगेटेड़ लेजिस्लेशन प्रोविजन्स (संशोधन) अधिनियम 1985
द पेटेन्ट (संशोधन)अधिनियम 1999
द पेटेन्ट (संशोधन)अधिनियम 2002
द पेटेन्ट (संशोधन) आर्ड़िनेंस 2004
द पेटेन्ट संशोधन, 2005 

इसके अलावा दो और निम्न क्षेत्र हैं जिसके अन्दर बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को सुरक्षित किया जाता है। वह है। 
1.     टेªड सीक्रेट
2.     सविंदा कानून (Contract Act)
       3.     26 अप्रैल, 2018 को संपूर्ण विश्व में विश्व बौद्धिक संपदा दिवस, (World Intellectual Property                            Day) मनाया जाता है।
           4.     वर्ष 2018 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme).शक्ति परिवर्तन नवाचार और रचनात्मकता में                          महिलांए, (Powering Change: Women in innovation and creativity) है।
           5.     इस दिवस को उद्देश्य बौद्धिक सम्पदा के अधिकारों ;पेटेन्ट टेªड़मार्क औधोगिक ड़िजाइन काॅपीराइट                   इत्यादिद्ध के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
           6.     विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन ने वर्ष 2000 में प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को इस दिवस को मनाने की घोषणा की
           7.     इसकी स्थापना 14 जूलाई 1967 को हुई थी।
           8.     इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड़ में है।
           9.     वर्तमान में फ्रांसिस गुर्री विश्व बौद्धिक सम्पदा के महा निदेशक है।



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