दीक्षा (Initiation) library science

दीक्षा का शाब्दिक अर्थ किसी भी वस्तु का परिचय कराना होता है। दीक्षा शब्द का प्रयोग पुस्तकालय के सन्दर्भ मे किया जाता है।
दीक्षा से तात्पर्य:- पाठको को पुस्तकालय के संग्रह, विभिन्न कक्षो, नियमो तथा पुस्तकालय द्वारा पाठको को दी जाने वाली सेवाओ से परिचित करवाना है।
पुस्तकालय का नया सदस्य नवआगन्तुक कहलाता है।
पुस्तकालय मे दिया जाने वाला दीक्षा कार्यक्रम इस प्रकार का होना चाहिये कि पाठक के मस्तिष्क पर पुस्तकालय की छवी एव उसके उपयोग के सम्बन्ध मे छाप बन जाये।

दीक्षा in Hindi
दीक्षा
परिभाषा

डाॅ.एस. आऱ. रंगनाथन के अनुसार:- नये सदस्य जो प्रथम बार पुस्तकालय मे आये उनके समक्ष जो परेशानियाँ या भ्रम होते है उन्हे दूर करना तथा साथ ही यह बताना पुस्तकालय एक मानवीय और उपयोगी संस्था है। सामान्यत दीक्षा कार्यक्रम संदर्भ लाभ या रेफरेन्स लाभ के द्वारा दिया जाना चाहिये परन्तु यदि पुस्तकालय छोटा हो तो लाइबे्ररियन दीक्षा सेवा दे सकता है। बडे पुस्तकालय मे संदर्भ विभाग का गठन किया जाता है।

पुस्तकालय दीक्षा की आवश्यकता:-

1   पुस्तकालय नियम के लिए
2   पुस्तकालय सुची के लिए
3   मुक्त द्वार प्रवेश प्रणाली
4   पुस्तकालय का स्वरूप
5   पुस्तकालय का वर्गीकरण
 
डाॅ. एस. आर. रंगनाथन ने पाठक के चार प्रकार बताये है:-

1    नवीन पाठक:- इसे सामान्य प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
2    सामान्य पाठक:- इसे सामान्य संदर्भ सेवा प्रदान की जाती है।
3    साधारण प्रश्नकर्ता:- इसे तत्कालिन संदर्भ सेवा प्रदान की जाती है।
4    विषय विशेषज्ञ:- इसे दीर्घकालिक संदर्भ सेवा प्रदान की जाती है।


दीक्षा कार्यक्रम के पक्ष

1  वर्गीकरण प्रणाली निधानी विन्यास:- पाठको को वर्गीकरण पद्धति तथा निधानी मे पुस्तको के व्यवस्थापन की प्रारम्भिक जानकारी देनी चाहिये।

2  संग्रह कक्ष:- पाठक को इस समय मुक्त प्रवेश प्रणाली से अवगत करवाया जाता है नये पाठको को संग्रह कक्ष मे व्यवस्थित पाठक सामग्री से परिचय करवाने के लिए संग्रह कक्षो मे ले जाना चाहिये तथा पाठको को यह भी बताना चाहिये कि संग्रह कक्ष से पुस्तक उठाकर अध्ययन कक्ष तक ले जाया जा सकता है।

3  पुस्तकालय के विभिन्न विभागो की स्थिति से परिचय:- पाठक को पुस्तकालय का भ्रमण करवाकर ग्रंथालय के विभिन्न विभागो कि स्थिति व उनके कार्यो के बारे मे जानकारी करवाना चाहिए।

पुस्तकालय सुचीकरण

पुस्तकालय सुचिकरण को संग्रह का दर्पण या कुंजी कहा जाता है। जिसके द्वारा पाठक को पुस्तकालय मे पुरे संग्रह के बारे मे जानकारी प्राप्त हो जाती है।

दीक्षा प्रदान करने की विधिया

प्रत्यक्ष विधि:- इस विधि मे ग्रंथालय व्यक्तिगत रूप से प्रत्यक्ष पाठक को परिचय प्रदान कराता है। यदि किसी विद्यार्थि को कोई बात समझ नही आती है तो वह संदर्भ लाइबे्ररियन से अपनी कठिनाई का हल पुछ सकता है। परन्तु बडे-बडे शैक्षणिक पुस्तकालय मे जहाॅ विद्यार्थि अधिक संख्या मे होते है वहाॅ समय बचाने के लिए सामूहिक पद्धति अपनाई जाती है। कुछ पद्धतियां निम्न है -

1  भाषण/व्याख्यान पद्धति:- भाषण द्वारा ग्रंथालय दीक्षा पारम्परिक विधियो मे से एक है। यदि विद्याालय मे विद्यार्थियो के बडे समूह को दीक्षा प्रदान करनी है तो कम समय मे उन्हे भाषण देकर दीक्षीत किया जाता है। इस विधि मे पुस्तकालय अध्यक्ष पुस्तकालय मे उपलब्ध पाठ्य सामग्री, उपकरण, ग्रंथालय नियम तथा पुस्तकालय द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओ एवं पुस्कतालय की जानकारी देता है।

2  वार्तालाप पद्धति:- इस पद्धति मे पाठको की कठिनाईया वार्तालाप से दूर की जाती है तथा उनके विषय से सम्बन्धित साहित्य एवं उपकरणो से परिचित करवाया जाता है।

3  पुस्तकालय परिभ्रमण:- इस विधि मे पुस्तकालय अध्यक्ष नये पाठको को पुस्तकालय के हर विभाग मे भ्रमण  करवाता है अर्थात् पुस्तकालय के विभिन्न विभाग एवं सेवाओ से परिचित करवाता है।

अप्रत्यक्ष विधि:-

1  मार्गदर्शिका - इसमे पुस्तकालय का नक्शा दिया जाता है जिसमे विभिन्न विभागो की स्थिति की जानकारी देता है।

2  प्रदर्शन साहित्य से उपकरण - प्रदर्शन फलक, चार्ट, माॅडल, सूचना पटल, रेखाचित्र, मानचित्रो और अन्य प्रकार की सूचना पाठको का ध्यान आकर्षित करती है।

3  दृश्य-श्रव्य विधि - दृश्य-श्रव्य विधि के माध्यम से दी गयी सेवा भाषण विधि की अपेक्षा अधिक लाभकारी होती है। इसमे रंगीन स्लाइड, टी.वी., चलचित्र, रेडियो, यू-ट्यूब आदि के माध्यम से पूरी जानकारी दी जाती है।

अ   मिश्रित विधि:- पुस्तकालय दीक्षा की मिश्रित विधि मे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोने विधि मे प्रयुक्त साधनो का प्रयोग किया जाता है। जैसे पुस्तकालय परिभ्रमण एवं दृश्य-श्रव्य साधनो द्वारा शैक्षणिक पुस्तकालय मे पुस्तकालय परिचय अच्छे प्रकार से करवाया जाता है तथा मार्गदर्शिका एवं वार्तालाप सार्वजनिक पुस्तकालय मे पुस्तकालय परिचय अच्छे तरह से करवाया जा सकता है।


Post a Comment

2 Comments