पुस्तकालय भवन निर्माण का सर्वप्रथम विचार 1930 में अमेरिका में किया गया था
पुस्तकालयों में गं्रथों के संकलन एवं संग्रहण करने हेतु भवन की आवश्यकता होती है। अतः पुस्तकालय का निर्माण पुस्तकालय अध्यक्ष की कार्य क्षमता पुस्तकों की संख्या विभागों की संख्या एवं कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले विभिन्न कार्य एवं प्रक्रियाओं को ध्यान में रखकर किया जाता है।
पुस्तकालय भवन बनाते समय विभिन्न विभागों के स्थान भवन में वायु प्रकाश की व्यवस्था तथा पुस्तकालय की संपूर्ण योजना को ध्यान में रखकर बनाना चाहिए।
पुस्तक पाठक तथा कर्मचारी पुस्तकालय की त्रिमूर्ति की संज्ञा दी जाती है। लेकिन सबसे मुख्य पुस्तकालय भवन होता है। क्योंकि किसी संगठन की सफलता उसके भवन पर निर्भर करती हें
पुस्तकालय भवन योजना निर्माण में पुस्तकालय अध्यक्ष की अहम भूमिका होती है। क्योंकि वह पुस्तकालय का अधिकारी होता है। पुस्तकालय के सभी साधनों से अवगत रहता है। पुस्तकालय अध्यक्ष अपनी आवश्यकता के अनुसार योजना बनाकर भवन निर्माण में की योजना प्रस्तुत करता है।
भवन योजना निर्माण मंे पुस्तकालय अध्यक्ष के साथ-साथ वास्तु विद अभियंता वह पुस्तकालय समिति का भी अहम योगदान होता है।
ड़ाॅक्टर एस. आर. रंगनाथन द्वारा पुस्तकालय निर्माण की निम्न योजना बताई है। जो निम्न प्रकार है-
1. एक होल व्यवस्था:- जैसा कि नाम से स्पष्ट होता है। कि एक हाॅल व्यवस्था एक बड़ा होल बना दिया जाता है। जिसमें बड़े-बड़े कक्ष विभाजित कर दिए जाते है। एक हाॅल व्यवस्था स्कूल के पुस्तकालय के लिए उपयुक्त मानी जाती है। सबसे पहले प्रवेश द्वार होता है। उसके बाद आदान-प्रदान पटल, प्रवेश द्वार और आदान-प्रदान पटेल के बीच 100 वर्ग फुट का स्थान होना चाहिए आदान-प्रदान पटल के पीछे संदर्भ कक्ष होना चाहिए आदान-प्रदान पटल के दाएं और गं्रथ आधार और बाएं और अध्ययन कक्ष होना चाहिए
2. साइड़ आॅन व्यवस्था:- इस प्रकार की व्यवस्था महाविद्यालय पुस्तकालय हेतु उपयुक्त मानी जाती है। इस प्रकार के पुस्तकालय में आगे की और प्रवेश द्वार प्रवेश द्वार के बाद आदान-प्रदान पटल,, आदान-प्रदान पटेल के बाद संदर्भ विभाग होता है। संदर्भ विभाग के बाद गं्रथ आधार तथा दोनों और अध्ययन कक्ष होता है।
3. एंड़ आॅन व्यवस्था एंड़ आॅन व्यवस्था:- विश्वविद्यालय पुस्तकालय के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इस प्रकार की व्यवस्था में आगे की और मुख्य द्वार पीछे आदान-प्रदान पटेल उसके पीछे संदर्भ विभाग होता है। प्रवेश द्वार के बाद दोनों साइड़ एक तरफ विज्ञापन कक्ष दूसरी तरफ शोध कक्ष होता है।
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