पुस्तकालय सेवा को वांछित विधियों से संचालित करने के लिए कुछ पुस्तकालय नियम बनाये जाते हैं जो पाठकों को उचित सेवा प्रदन करने तथा पुस्तकालय स्टाफ को सही मार्गदर्शन करने में सहायता करते हैं। पुस्तकालय नियमों का निर्माण पुस्तकालय समिति द्वारा कराया जाता है । यद्यपि नियमों का निर्माण पाठकों के लिए किया जाता है किन्तु इनको पाठकों द्वारा परिपालन करवाने का उत्तरदायित्व पुस्तकालयाध्यक्ष एवं पुस्तकालय कर्मचारियों पर होता है
पुस्तकालय नियम |
1. पुस्तकालय में नियमों की आवश्यकता (Need of the
Library Rules)
पुस्तकालय में निम्न कारणों से नियमों की आवश्यकता पड़ती है
1 पुस्तकालय में नियम पुस्तकालय प्रबन्ध एवं प्रशासन के आवश्यक अंग होते हैं,जो पाठकों को उनके अनुसार चलने के लिए बाध्य करते हैं।
2 पुस्तकालय में किसी विवाद की स्थिति में किसी समस्या को सुलझाने में नियमसहायता करते हैं।
3 पुस्तकालय में नियमों के द्वारा ही पाठकों एवं कर्मचारियों के पारस्परिक अधिकार एवं कर्तव्यों का भी उल्लेख करते हैं।
4 नियम ही पुस्तकालय भवन, पाठ्य-सामग्री एवं पुस्तकालय उपकरणों की सुरक्षाकरते हैं।
5 नियमों के होने से ही पुस्तकालय में असामाजिक तत्वों से पुस्तकालय कर्मचारियोंकी सुरक्षा रहती है।
2. पुस्तकालय नियमों की विशेषताएँ (Characteristics)
1 पुस्तकालय नियमों की रचना सरल, स्पष्ट तथा सहज भावबोधक होनी चाहिए जिसमें उपयोगकर्ता नियमों को पढ़ते ही उनका अर्थ समझ सके तथा पाठक उन्हें आदेशों की अपेक्षा अनुरोध समझे ।
2 नियमों की संख्या अधिक नहीं होनी चाहिए। सुव्यवस्थित पुस्तकालयों में कमनियमों की ही आवश्यकता पड़ती है।
3 पुस्तकालय नियमों के अन्तर्गत पुस्तकालयाध्यक्ष को अनेक स्वविवेक से निर्णयकरने का अधिकार होना चाहिए । नियमों को सेवकों की तरह कार्य करना चाहिए न कि स्वामी की तरह अर्थात् नियम सहयोगात्मक होने चाहिए।
4 पाठकों को हतोत्साहित करने वाले अथवा उन्हें पुस्तकालय से विमुख करने वालेवाक्यों एवं अनुच्छेदों का समावेश नियमों में नहीं होना चाहिए।
शैक्षणिक पुस्तकालय (विश्वविद्यालय पुस्तकालय हेतु नियम) -विश्वविद्यालय पुस्तकालयों के नियम निम्नलिखित प्रकार के होते हैं
(1) पुस्तकालय का कार्यकाल (खुलने का समय) -
(1) 1 जुलाई से 30 अप्रैल तक: प्रातः 8.30 से सायं 7.00 बजे तक
(2) 1 मई से 30 जून तक: प्रातः 7.00 से दोपहर 1.00 बजे तक सायं 4 बजे से 6.00 बजे तक
(3) अवकाश के दिन प्रातः 10.00 बजे से सायं 6.00 बजे तक
v (नोट-अवकाश के दिन लेन-देन नहीं होता है।)
लेन-देन विभाग में पुस्तकालय खुलने के आधा घन्टे बाद कार्य आरम्भ होता है तथा बन्द होने से एक घंटा पूर्व बन्द हो जाता है।
(नोट-उपर्युक्त समय से परिस्थिति एवं आवश्यकतानुसार कभी भी समय में परिवर्तन किया जा सकता है।)
(2) सदस्यता (Membership) - शैक्षणिक संस्था के सभी कार्यकर्ता, प्राध्यापक विद्यार्थी एवं शोधकर्ता उस शैक्षणिक संस्था के पुस्तकालय के सदस्य बन सकते हैं तथा पुस्तकें ले सकते हैं
1. शैक्षणिक कार्यकर्ता
1. डीन तथा प्रोफेसर, रीडर एवं लेक्चरर 30 पुस्तकें 3 माह के लिए
2. विद्यालय शिक्षक10 पुस्तकें 3 माह के लिए
(नोट-जो शिक्षक शोध कर रहे हैं अथवा करवा रहे हैं उनको 10 पुस्तकें अतिरिक्त दी जा सकती है।)
2. अशैक्षणिक कार्यकर्ता
1. विभागीय अधिकारी वर्ग10 पुस्तकें 1 माह के लिए
2. कार्यालयी कार्यकर्ता6 पुस्तकें 1 माह के लिए
(3) पुस्तकें प्रदान करने की शर्ते (Conditions of the Book Issue) -
1 साधारणतः पुस्तकें पाठक को उसके सम्बन्धित विषय की दी जाती हैं। पुस्तकेंजारी करवाने के लिए पाठक को स्वयं आना चाहिए ।
2 पुस्तकें एवं अन्य पाठ्य सामग्री जो पाठक के पास इश्यू है, पुस्तकालय द्वारा आवश्यकतानुसार वापस मंगवायी जा सकती है। ऐसी स्थिति में पाठक को चाहिए कि वह उसे अतिशीघ्र वापस जमा कराये ।
3 पुस्तक अगर किसी अन्य पाठक द्वारा नहीं मांगी गयी हो तथा उसी पाठक को उसकी आवश्यकता है तो पुस्तक उसे पुनः इश्यू की जा सकती है परन्तु इसके लिए पुस्तक को पुस्तकालय में लाना होगा।
4 शोध प्रबन्ध, पाण्डुलिपियाँ, बहुखंडीय पुस्तकें एवं सीरीज वाली पुस्तकें, रिपोर्टऔर संदर्भ की पुस्तकें पुस्तकालय में पढ़नी होंगी। पत्र-पत्रिकाओं के अंश तथा जिल्दशुदा अंक पुस्तकालय में पढ़े जा सकेंगे। किसी विशेष परिस्थिति में केवल अध्यापक इन्हें एक दिन के लिए इश्यू करा सकते हैं ।
5 पुस्तकालय से उधार ली गयी पुस्तकें दूसरों को उधार देना वर्जित है ।
6 पुस्तक इश्यू करवाने से पूर्व पाठक भली-भाँति देख लें कि यदि किसी प्रकार की क्षतिग्रस्त पुस्तक हो तो उसे उसी समय इश्यू करने वाले व्यक्ति को अवगत करायें अन्यथा किसी प्रकार की क्षति के लिए पाठक को ही जिम्मेदार ठहराया जायेगा।
7 विलम्ब से लायी गयी पुस्तक पर एक रुपया प्रतिदिन प्रति पुस्तक अर्थ दण्ड देना होगा।
8 यदि कोई पुस्तक खो जाती है तो प्राथमिकता यह होगी कि नई पुस्तक लाकर दी जाए अथवा दुगनी कीमत अथवा वास्तविक मूल्य वसूल किया जायेगा।
0 Comments