पुस्तकालय वर्गीकरण


वर्गीकरण शब्द का अर्थ है, वर्ग करना वर्ग का मतलब है। वस्तुओं का एक वर्ग अथवा समूह है। इसका उपयोग वस्तुओं को उनके गुण विशेषताओं के आधार पर वर्गों में विभक्त करने के लिए किया जाता है। अर्थात वर्गों की क्रमबद््ध व्यवस्था को वर्गीकरण कहा जाता है। वस्तुओं को समानता और असमानता के आधार पर विभक्त करना ही वर्गीकरण कहलाता है।



वर्गीकरण शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Classis से हुई है।
Classis  शब्द का अर्थ है,  भेद करना (पहचाना) है।
Classis शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रोम राज्य में किया गया रोम राज्य में संपत्ति एवं महत्व के आधार पर समाज के प्रमुख वर्गों को एक दूसरे से अलग पहचान करने के लिए किया जाता था।
    उस काल में समाज में मुख्य रूप से विभाजक प्रथा प्रचलित थी। जिसके कारण विभाजन केवल दो समूह  द्विभाजक - Dichotomy में किया जाता था। अर्थात्् जैसे संपत्ति के अनुसार धनी एवं गरीब महत्व के अनुसार स्वामी एवं सेवक आदि
      वर्गीकरण शब्द का प्रयोग ज्ञान के हर क्षेत्र में किया जाता है।

     परिभाषाएं:-

     हेनरी ई बिल्स:- के अनुसार पुस्तकालय वर्गीकरण का अर्थ है। पुस्तकों में निहित ज्ञान का व्यवस्थापन एवं पुनः व्यवस्थापन करने का कार्य है।
     मार्गेट मान:- पुस्तकों का वर्गीकरण वस्तुतः ज्ञान का वर्गीकरण है। जिसमें पुस्तकों के भौतिक स्वरूप के आधार पर आपस में समन्वय बैठा लिया जाता है।
     ड़ब्ल्यू एच फिलिप्स:- इसके अनुसार वर्गीकरण समान वस्तुओं को एक साथ एकत्रित करना और भिन्न वस्तुओं को अलग रखा जाता है। वस्तु को अलग- अलग करने तथा उन्हें एक समूह में रखने की प्रक्रिया वर्गीकरण कहलाता है।
     ड़ाॅक्टर एस आर रंगनाथन:- के अनुसार पुस्तक के विशिष्ट विषय के नाम को अधिमान्य कृत्रिम भाषा में अनुवाद करना ही पुस्तकालय वर्गीकरण है। तथा एक ही विशिष्ट विषय से संबंधित अनेक पुस्तकों का अनेक क्रम सूचक अंको के द्वारा जो पुस्तक की विषय वस्तु के अलावा अन्य विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है। और विशिष्टता प्रदान करता है।
     टी एच हक्सले:- वस्तुओं को समानता के आधार पर क्रमबद््ध रूप में श्रृृंखला में व्यवस्थित करना ही वर्गीकरण है।
    जे एस मिल:- इसके अनुसार वर्गीकरण वस्तुओं के विचार को क्रमबद््ध करने के लिए संभावित उत्तम उपाय बताया है।
     ई सी रिचर्ड़सन:- इसके अनुसार वस्तुओं को उनकी समानता और असमानता के आधार पर एक साथ रखना ही वर्गीकरण हैं।
     वर्गीकरण पुस्तकालय में पुस्तकों को क्रमबद््ध व्यवस्थापन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

     वर्गीकरण की आवश्यकता:-

        1.     पुस्तकों के ज्ञान में असीमित विस्तार
        2.     विषय की जटिलता
        3.     साहित्य के विभिन्न रूप
        4.     विषय की विविधता
        5.     पुस्तकालय के उद््देश्य पूर्ति के लिए
        6.     पुस्तकों के उपयोग में वृ्द्धि के लिए
        7.     सहायक क्रम में विन्यास हेतु
        8.     समय की बचत
     पुस्तक वर्गीकरण : पुस्तकों को ठीक से रखने के लिए जिससे वाँछित पुस्तक आसानी से प्राप्त हो जाये, पुस्तकों पर वर्गीकरण नजर ड़ाले जाते है। इस समय दशमलव वर्गीकरण पद््धति, द्विबिंदु वर्गीकरण पद्धति, विस्तार शील वर्गीकरण पद्धति, लाइबे्ररी आॅफ कांग्रेस वर्गीकरण,पद्धति,विषय वर्गीकरण पद्धति एवं वांग्मय वर्गीकरण पद्धतियाँ विश्व में प्रचलित है। संसार के अनेक पुस्तकालयों में दशमलव वर्गीकरण पद्धति ही प्रायः प्रचलित है। इस पद्धति का आविष्कार अमेरिका निवासी मैल्विल डीवी ने सन्् 1876 ई.में किया था। दूसरी मुख्य पद्धति भारतीय विद््वान डाॅ.एस. आर. रंगनाथन द्वारा 1925 ई. में आविष्कृत द्विबिंदु वर्गीकरण पद्धति है। सर्वप्रथम मद्रास पुस्तकालय संघ ने इसका प्रकाशन 1933 ई. में किया।
      
     वर्गीकरण के प्रसिद््ध विद््वान हेनरी ई बिल्स वर्गीकरण को समझाने हेतु तीन चरण बताए हैं।
        1.     विभाजन करना 
        2.     वर्गीकृत करना 
        3.     वर्गीकरण का नाम 
     
     पुस्तकालय वर्गीकरण के उद््देश्य:-

       ग्रंथालय की आधारशिला गं्रथ हैं। तथा गं्रथालय व्यवसाय की आधारशिला वर्गीकरण है।
      डाॅक्टर रिचड्र््सन के अनुसार:-पुस्तकों के उपयोग हेतु ग्रंथालय में ऐसी व्यवस्था की जाती है। जो गं्रथालय     वर्गीकरण को गतिशील बनाता है। पुस्तकों के उपयोग में आसानी होती है।
  
      ड़ाॅ एस आर रंगनाथन के अनुसार:- पुस्तकालय वर्गीकरण का मुख्य उद््देश्य पाठ््य सामग्री को सहायक क्रम में व्यवस्थित करना है।

      ड़ाॅक्टर एस आर रंगनाथन ने पुस्तकालय वर्गीकरण के निम्न उद््देश्य बताएं है

      1.     नवीन पुस्तक की प्राप्ति पर उससे संबंधित विषय की अन्य पुस्तकों में निर्धारित स्थान प्रदान किया जा सके
      2.     ग्रंथालय में उपलब्ध पुस्तक को उपभोक्ताओं द्वारा मांग किए जाने पर पुस्तक निदानी पर शीघ्र स्थान बताना
      3.     पाठक द्वारा जब पुस्तकालय में पुस्तक लौटाई जाती है। तो उसे पुनः उसे उसके पूर्व स्थान पर रखा जाना             चाहिए
      4.     जब पुस्तकालय में नवीन पुस्तक प्राप्त होती है। तो उससे संबंधित विषय की अन्य पुस्तकों में निर्धारित                 स्थान में व्यवस्थित किया जा सके काम
    ड़ब्लू सी बी सेयर्श के अनुसार:-गं्रथालय की आधारशिला ग्रंथ हैं तथा पुस्तकालय व्यवसाय की आधारशिला वर्गीकरण है।

     डाॅक्टर सेवेज़ के अनुसार:- पुस्तकालय अध्यक्ष और पाठक के लिए सरल क्रमबद््ध रूप से पुस्तकों की व्यवस्था करना ही पुस्तकालय वर्गीकरण का मुख्य उद््देश्य हैं

      वर्गीकरण के कार्य:-

      1.     ग्रंथों के सुनियोजित क्रम के व्यवस्थापन में पुस्तकालय वर्गीकरण सहायता प्रदान करता है। यह पाठको तथा पुस्तकालय कर्मचारियों के लिए भी अधिकतम सरल हैं यह संबंधित विषयों को पास- पास लाता है इसे हेनरी बिल्स ने यह स्वंय व्यवस्थापन कहा है।
      2.     ड़ब्लू सी बी सेयर्स के अनुसारः- पुस्तकालय वर्गीकरण के अभाव में कोई भी पुस्तकालय अध्यक्ष व्यवस्थित क्रम में ग्रंथालय की रचना नहीं कर सकता है।                                   

      उन्होंने बताया कि वर्गीकरण के निम्न कार्य हो सकते है।
           1.     एक ही विषय की पुस्तकों को एक ही जगह पर एकत्रित करना है
           2.     पुस्तकालय में पुस्तकों को ढंूढने में समय की बचत करता है
           3.     पुस्तकालय वर्गीकरण पुस्तक चयन में सहायता प्रदान करता है
          4.     विश्व के ज्ञान जगत में नए विषय लगातार विकसित हो रहे हैं जब पुस्तकालय में नवीन विषय का पहला                 गं्रथ जोड़ा जाता है तो उससे संबंधित पहले से विद््यमान विश्व के बीच के स्तर के आधार पर उसे                     उपयुक्त स्थान अपने आप प्राप्त हो जाता है।
          5.      वर्गीकरण पुस्तकों के भंड़ार सत्यापन निदानी सूची द्वारा संपन्न करने में सुविधााजनक होता है
          6.     पुस्तकालय में आने वाले पाठक को पुस्तकों के मध्य संबंध स्थापित कराने का कार्य वर्गीकरण द्वारा ही                 किया जाता है
          7.     वर्गीकरण से पुस्तकों को खोजने में समय की बचत होती है
          8.    पुस्तकालय में है किस विषय की कितनी पुस्तके उपलब्ध हैं तथा उस विषय पर कितनी पुरानी एवं नई                 पुस्तक के उपलब्ध हैं यह वर्गीकरण से ही संभव है
          9.    वर्गीकरण ग्रंथों को व्यवस्थित समूह में व्यवस्थित करने में सहायता करता है
         10.   सूची को उपयोगी बनाने में वर्गीकरण सहायक हैं

       ज्ञान और पुस्तक वर्गीकरण
     ज्ञान वर्गीकरण:- ज्ञान वर्गीकरण पुस्तकों के वर्गीकरण का मूल आधार होता है जिसमें ज्ञान अपने आपको स्वयं क्रमबद््ध करता है
      ज्ञान वर्गीकरण के अंतर्गत विज्ञान जगत के समस्त विषयों का अध्यन किया जाता है
      ड़ाॅ एस आर रंगनाथन के अनुसार ज्ञान सभ्यता सुरक्षित सूचना का समग्र योग होता है।
      जे एच शेरा के ज्ञान वर्गीकरण बौधिक पद््धति द्वारा निष्पादित प्रक्रिया का परिणाम होता है

      पुस्तक वर्गीकरण:-
      पुस्तक वर्गीकरण विज्ञान वर्गीकरण के बाद की प्रक्रिया होती हैं इसमें विषय की खोज में समय की बचत होती हैं
      ड़ाॅक्टर एस आर रंगनाथन के अनुसार पुस्तक वर्गीकरण प्रक्रिया को तीन भागों में बांटा गया है
         1.     वर्ग संख्या
         2.     पुस्तक संख्या
         3.     संग्रह संख्या
     डब्लू सी बी सेयर्श के अनुसार:-
         1.     पुस्तको को विषय के आधार पर वर्ग संख्या प्रदान की जानी चाहिए
         2.     पुस्तक के बाहर ही स्वरूप में लेखक का नाम होना चाहिए

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