पुस्तकालय के प्रकार | Types of Library and its History in Hindi (Part 2)

विषिष्ट पुस्तकालय


डाॅ. एस.आर.रंगनाथन के अनुसार:- विषिष्ट पुस्तकालय को विषेषज्ञो का पुस्तकालय कहा है जो किसी विषिष्ट क्षेत्र मे विषेषज्ञो को विस्तृत सूचना उपलब्ध कराता हो।

Library Science With Rakesh Meena
Types of Library Part 2
इनसाइक्लोपीडीया आॅफ लाइबे्ररी एण्ड इन्फाॅरमेषन साइंस केे अनुसार:-जो किसी विषिष्ट संस्थान की वर्तनाम व भविष्य की सूचना संबधी आवष्यकताओ को पुरा करने के उदे्ष्य हेतु स्थापित की गयी हो।

भारत मे लगभग 3600 विषिष्ट पुस्तकालय है। विषिष्ट पुस्तकालय का अभिप्राय उस पुस्तकालय से होता है जो किसी विषय विषेष क्रियाकलाप विषय समूह किसी विषेष प्रकार के प्रलेखो का संग्रह होता है तथा विषेष प्रकार के उदे्ष्यो कि पूर्ति करना है।

यह अन्य पुस्तकालय की सेवा से भिन्न होते है। इसका मुख्य लक्ष्य संदर्भ सेवा तथा अनुसंधानकर्ता को पुस्तकालय की सेवा उपलब्ध कराना होता है। विषिष्ट पुस्तकालय मुलतः संदर्भ सेवा के लिए होता है।

विषिष्ट पुस्तकालय का प्रमुख लक्ष्य सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध सूचना को अनुसंधानकर्ता को उपलब्ध कराना होता है।

विषिष्ट ग्रंथालय मे मुख्यतः 3 तत्व होते है -

       (1) विषिष्ट पाठक
       (2) विषिष्ट संग्रह
       (3) ग्रंथालय का विषिष्ट ज्ञान

विषिष्ट पुस्तकालय की विषेषता:-

       (1) विषिष्ट पुस्तकालय के पाठक विषेष प्रकार के होते है-
       (2) विषिष्ट पुस्तकालय एक विषेष स्थान पर होता है।
       (3) विषिष्ट पुस्तकालय मे सामग्री किसी विषिष्ट क्षेत्र से सम्बन्धित होती है।
       (4) विषिष्ट पुस्तकालय मे सामान्यतः छोटे होते है।

       विषिष्ट पुस्तकालय के कार्य:-
       (1) सारांषीकरण, अनुक्रमणिकाकरण व डाइजेस्ट तैयार करना
       (2) सामयिक अभिज्ञता सेवा (ISA) प्रदान करना
       (3) संदर्भ सेवा प्रदान करना
       (4) बुलेटिन का प्रकाषन
       (5) विषिष्ट प्रकार के संकलन
       (6) पुस्तकालय संग्रह केटलाॅग को उनके डेस्कटाॅप पर देखने के लिए इन्टरनेट सुविधा प्रदान करना
       (7) अन्तर ग्रंथालय ऋण प्रदान करना

पहली विषिष्ट लाइब्रेरी सर विलियम जाॅन्स के अथक प्रयासो द्वारा जो कि सुप्रीम कोर्ट के जज भी थे इन्होने 1784 मे एषियाटिक सोसायटी आॅफ बंगाल की स्थापना की।

1784 मे जो पुस्तकालय खोला गया उसे भारत का प्रथम आधुनिक पुस्तकालय कहा जाता है।


शेक्षणिक पुस्तकालय

शेक्षणिक का अर्थ है षिक्षा से सीखने की एक प्रारंभिक प्रक्रिया है षैक्षिक षैक्षणिक पुस्तकालय से जुड़ी संस्थाएं होती है षैक्षणिक पुस्तकालय के अंतर्गत विद्यालय ,महाविद्यालय और विष्वविद्यालय पुस्तकालय आते है व्यक्ति अपने जीवन काल में सार्वजनिक पुस्तकालय में यहां विषिष्ट पुस्तकाय में प्रवेष करें ना करें पर वह षैक्षणिक पुस्तकालय का उपयोग अवष्य करता है
शेक्षणिक पुस्तकालय वह होते है जहां विद्यार्थियों को औपचारिक शिक्षा दी जाती है तथा अध्ययन एवं अनुसंधान का कार्य भी किया जाता है
शेक्षणिक पुस्तकालय पाठकों के साथ- साथ संस्था के षिक्षण एवं अन्य कर्मचारियों की आवष्यकता की पूर्ति भी करते है

फ्रांसीसी के केपल के अनुसारः- राज्य की उच्च षिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं का स्तर कुल संस्थाओं में कार्यरत पुस्तकालय में पुस्तक को पत्र पत्रिकाओं तथा षोध सामग्री की पर्याप्तओं के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए


शेक्षणिक ग्रंथालय वे ग्रंथालय होते है जो किसी संस्था मे अध्ययन करने वाले छात्रो की आवष्यकताओ की पूर्ति करते है

शेक्षणिक पुस्तकालय तीन प्रकार के होते है -

   (1) विद्यालय पुस्तकालय
   (2) महाविद्यालय पुस्तकालय
   (3) विष्वविद्यालय पुस्तकालय

विद्यालय पुस्तकालय:- माध्यमिक षिक्षा आयोग के अध्यक्ष मुदालियर ने अपने प्रतिवेदन को स्कुल पुस्तकालय के सभी षैक्षणिक पुस्तकालयो का मेरूदण्ड बताया था। कुछ विद्वानो ने इसे प्रयोगषाला अथवा कर्मषाला का केन्द्र बताया है।

  उदे्ष्य -
    (1) पुस्तकालस उपयोग का प्रषिक्षण
    (2) अवकाष के समय का सदुपयोग
    (3) मौन पाठ का अभ्यास
    (4) पुस्तको को उचित ढंग से उपयोग करने का प्रषिक्षण
    (5) सूचना मे वृद्धि
    (6) पाठ्य सामग्री चयन मे छात्रो का पथ प्रदर्षन

विद्यालय हृदय होता है बच्चों को संपूर्ण बौद््धिक विकास इसी क्रम से सुनियोजित होता है विद्यालय पुस्तकालय की आवष्यकता बच्चों को नहीं बल्कि षिक्षक षिक्षिकाओं को भी है

विद्यालय पुस्तकालय के तीन स्तर होते है
       1.   प्राथमिक विद्यालय
       2.   माध्यमिक विद्यालय
       3.   उच्च माध्यमिक विद्यालय

विद्यालय पुस्तकालय के कार्यः-
    1.     विद्यालय पुस्तकालय का कार्य पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाना है
    2.     बच्चों को मनोरंजन व ज्ञानवर्धक पुस्तकें एवं पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध करवाना और रूचि पैदा करना
    3.     बच्चों को पुस्तकालय की तरफ आकर्षित करने के लिए उनको चलचित्र भी दिखाया जाए जिनसे उनके        मन मे वृद्धि हो
    4.     विद्यालय गं्रथ विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को सूचना प्रदान करता है
    5.     विद्यालय पुस्तकालय में पुस्तकें चित्रनुमा होनी चाहिए जिससे चित्रण देखकर बच्चों का अध्ययन अनुभव का आनंद लेने तथा खाली समय का सदुपयोग करने में सहायता देता है

ड़ाॅ रंगनाथन का कहना है कि जिस विद्यालय में छात्रों को परिवर्तन संसार के लिए षिक्षा दी जाती है उसके लिए पुस्तकालय एक सज्जू कार्यषाला के रूप में होता है

माध्यमिक षिक्षा आयोग ने विद्यालय में पुस्तकालय के योगदान पर कहां है कि विज्ञान संबंधित विषय को पढ़ाने के लिए जोे स्थान होता है तकनीकी विषयों के लिए जो स्थान कार्यषाला का है पुनर्गठन विद्यालय में बौद््धिक एवं साहित्य ज्ञान अभिवृत्ति के लिए वही स्थान पुस्तकालय का है

महाविद्यालय पुस्तकालय:- यह उच्च षिक्षा का प्रवेष द्वार होता है।

लाभ:-महाविद्यालय पुस्तकालय का कार्य संदर्भ सेवा द्वारा षैक्षणिक कार्यो मे सहायता प्रदान करना है।

   महाविद्यालय के प्रमुख कार्य:-
    1.     पाठ्य सामग्री का चयन व अधिग्रहण
    2.     पाठ्य सामग्री का व्यवस्थापन
    3.     आदान-प्रदान सेवा
    4.     संदर्भ सेवा
    5.     परामर्ष सेवा
    6.     प्रलेखन व रिप्रोग्राफी सेवा प्रदान करना

महाविद्यालय के विद्यार्थियों को विभिन्न पाठ्््यक्रमों से संबंधित पाठ्य- पुस्तकें तथा अध्यापकों को संदर्भ गं्रथों तथा पत्र पत्रिकाओं का संग्रह तथा आदान-प्रदान सेवााएं महाविद्यालय द्वारा दी जाती है

लायल के अनुसार:- महाविद्यालय पुस्तकालय का कार्य संदर्भ सेवा द्वारा षैक्षणिक कार्यों में सहायता प्रदान करना है

1964-64 में ड़ाॅक्टर दौलत सिंह कोठारी की अध्यक्षता में गठित षिक्षा आयोग स्पष्ट रूप में लिखा गया है कि किसी भी विष्वविद्यालय महाविद्यालय तथा विभाग के बिना पुस्तकालय स्थापित नहीं किया जा सकता है

महाविद्यालय द्वारा निम्न सेवाएं प्रदान की जाती हैः-
    1.     परामर्ष देना
    2.     परिसंचरण सेवा
    3.     ग्र्रंथालय आदान-प्रदान सेवा
    4.     संदर्भ सेवा
    5.     छाया प्रतिलिपि सेवा

विलियम एम रेडल तथा एल डी गुडरीच ने महाविद्यालय पुस्तकालय के निम्न कार्य बताएं है

      1     प्रलेखन एवं माइक्रो फिल्म सेवा की व्यवस्था करना
      2     पाठ्य सामग्री उपयोग हेतु अध्ययन कक्षा की व्यवस्था तथा पैतृक संस्था को उसके षैक्षणिक कार्य पूरा        करने में सहायता देना
      3     छात्र पुस्तकालय सामग्री का उचित उपयोग कर सके इस कार्य में उन्हें प्रषिक्षित करना तथा षैक्षणिक कार्यक्रम में पूर्णतया भाग लेना तथा ज्ञान के सम्पूर्ण क्षेत्रों से संबंधित राष्ट्रीय पुस्तकों का विषाल संग्रह करना


विष्वविद्यालय पुस्तकालय  राधाकृष्णन के अनुसार पुस्तकालय विष्वविद्यालय का हृदय होता है। जिस प्रकार हदय के बिना व्यक्ति का षरीर कार्य नही कर सकता ठीक उसी प्रकार विष्वविद्यालय ग्रंथालय के बिना विष्वविद्यालय अपने उपदेषो की प्राप्ति नही कर सकता। विष्वविद्याालय ग्रंथालय के बिना विष्वविद्यालय का कोई अस्तित्व नही होता है। विष्वविद्यालय पुस्तकालय मे Text Book की किताबे अधिक होती है।

    कार्य -
    1.     पाठ्य सामग्र्री का अधिग्रहण
    2.     आदान-प्रदान संेवा
    3.     संदर्भ सेवा एवं सूचना सेवा
    4.     दीक्षा कार्यक्रम
    5.     परामर्ष सेवा

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत मे कुल 20 विष्वविद्यालय एवं महाविद्यालय पुस्तकालय है तथा 700 से अधिक जूनियर काॅलेज पुस्तकालय है इन पुस्तकालय की संकलन की संपूर्ण संख्या 2000 लाख पुस्तकों की है और इनमें 22000 पुस्तकालय कर्मी कार्यरत है 2 लाख डाॅलर प्रति वर्ष पुस्तकालय सेवा इन पुस्तकालय के लिए खर्च किया जाता है

विष्व का सबसे विषालतम विष्वविद्यालय हावर्ड विष्वविद्यालय पुस्तकालय है जिसमें 7000000 से भी अधिक पुस्तकें है

एम आर विल्सन एवं टोबर ने विष्व विद्यालय के 6 प्रमुख कार्य बताए हैं
    1.     ज्ञान और विचारों का संरक्षण
    2.     अध्यापन
    3.     अनुसंधान
    4.     प्रकाषन षिक्षा और ज्ञान की विस्तार व्याख्या

इसके अतिरिक्त विष्वविद्यालय पुस्तकालय के निम्न कार्य बताए गए।

1. ज्ञान का भंडारण:- पत्र पत्रिकाएं वीड़ियों आॅड़ियो टेप सीडी डीवीडी का संग्रह विष्वविद्यालय पुस्तकालय करता है पाठ को उनके पाठ्यक्रम की पुस्तकों के साथ-साथ सहायक पुस्तक के तथा अनुसंधानकताओं को उनके विषय पर संदर्भ एवं गं्रथ विष्वविद्यालय पुस्तकालय उपलब्ध कराता है

2. वर्गीकरण सूची करण एवं वांगड़म में सूची तैयार करना:- विष्वविद्यालय पुस्तकालय अपने पाठकोें की सुविधाओं के लिए क्रम किए हुए संसाधनों का वर्गीकरण कर उनको अलमारी में वर्गीकृत तरीके से करता है तथा पाठकों के लिए सूची तैयार करता है जो पाठकों को पुस्तक खोजने के लिए एक चाबी का काम करती है

3. अंतर पुस्तकालय ऋण:- विष्वविद्यालय के पास यदि कोई पुस्तक या अन्य प्रोजेक्ट नहीं है जो पाठक द्वारा मांगा गया है तो वह दूसरे पुस्तकालय से इंटरलाइबे्ररी लोन द्वारा मंगवाकर उपलब्ध करवाता है

4. करंट अवार्नेस सर्विस ;current awareness service) सिलेक्टिव डिसेमिनेषन आॅफ इनफाॅर्मेषन selective dissemination of informataion इसके अंतर्गत विष्वविद्यालय पुस्तकालय अपने पाठको कों पुस्तकालय में क्या-क्या नया आया है उनको प्रदर्षित करता है तथा SDI के अंतर्गत पाठको की रूचि की प्रोफाइल तैयार करता है तथा पुस्तकालय के पास उपलब्ध उस विषय से संबंधित क्या है मिलान करता है और पाठकों को प्रदान करता है

UK की पेरी कमेटी ने 1967 मे इस बात की अनुषंसा की थी कि Text Book  मे लेक्चर दिया जाना उचित नही है जबकि विष्वविद्यालय पुस्तकालय का उदे्ष्य छात्रो द्वारा स्वयं पुस्तकालयो मे से साहित्य को खोजना है।

पुस्तकालय के प्रकार | Types of Library and its History in Hindi (Part 1)

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