सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष के गुण एवं उसकी योग्यता | Qualities and Qualifications of Reference Librarian

भारतीय पुस्तकालय जगत के पितामह डॉ. रंगनाथन ने सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष को मित्र (Friend), दार्शनिक (Philoshoper) और मार्गदर्शक (Guide) कह कर संक्षिप्त में उसके सम्पूर्ण गुण और कार्य बता गए हैं।

सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष के गुण एवं उसकी योग्यता
सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष के गुण एवं उसकी योग्यता


माग्रेट हचिन्स के मतानुसार, “सही पुस्तक का होना तथा उसके सही उपयोग का ज्ञान होना दोनों ही सन्दर्भ विभाग को सफलतापूर्वक चलाने के लिये समान रूप से आवश्यक होना चाहिए ।

जेम्स आई. वायर के मतानुसार - सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष में मुख्य रूप से तीन गुण होते है।  “उसे पुस्तकों, पाठकों के समूह व अनुशासन से लगाव होना चाहिए। पुस्तकों में यदि उसे लगाव होगा, व पढ़ने में रूचि होगी तो उसका ज्ञान बढ़ेगा जिसका प्रभाव पुस्तक चयन पर पड़ेगा। इस अर्जित ज्ञान के द्वारा वह पुस्तकालय में, मंगवाई गई पाठ्य सामग्री को अधिक से अधिक लोकप्रिय बनाने का प्रयत्न करेगा इसके अलावा भी सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष में क्या गुण होने चाहिए, इसका अध्ययन अन्य लेखकों ने भी किया है। यदि व्यापक रूप से अध्ययन करें तो हम कह सकते हैं कि अपने सभी उत्तरदायित्वों को वहन करने के लिये सन्दर्भ

पुस्तकालयाध्यक्ष में निम्नलिखित गुण होने चाहिएः-

अच्छी सन्दर्भ सेवा देने के लिये कर्तव्यनिष्ठ, पुस्तकालयाध्यक्ष के लिये पूर्ण उत्साह और लगन से कार्य करना

सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष में दृढ़ता, व्यवस्थाप्रियता व अच्छी पर्यवेक्षण क्षमता आदि के गुण भी होने चाहिए। यदि उसमें ये गुण नहीं होंगे तो हो सकता है वह पाठ्य सामग्री एकत्रित करते समय कुछ जानकारी जो प्रलेख के मूल पाठ में नहीं होकर परिशिष्ट पृष्ठों में हैं, उसे छोड़ देगा, जो पाठक के  दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो सकती है।

उसे पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में उच्च स्नातक स्तर की उपाधि प्राप्त होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसका शैक्षणिक स्तर भी उच्च कोटि का होना चाहिए। उसे किसी एक विषय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्तहोनी चाहिए।

सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष की स्मरण शक्ति व कल्पना शक्ति प्रखर होनी चाहिए ताकि वह पाठक द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भिन्न - भिन्न दृष्टिकोण से सोचकर खोज सके। स्मरणशक्ति यदि प्रखर होगी तो वह उन बहुत सारे प्रश्नों के उत्तर बिना सन्दर्भ ग्रंथों की सहायता के दे सकेगा, जिनका उत्तर उसने पहले एक बार खोज लिया था।

पाठकों से उसका व्यवहार मृदु व शिष्ट होना चाहिए जिससे पाठक निःसंकोच उससे अपनी समस्याओं का समाधान कर सके।

उसे पुस्तकालय विज्ञान की सभी तकनीकियों का अच्छा ज्ञान होना चाहिए। विशेषतया उसमें पाठक द्वारा वांछित सामग्री की खोज करने की योग्यता होनी चाहिये एवं वह ग्रन्थसूची बनाने की कला में दक्ष होना चाहिए।

उसे एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए।

विलियम ए कौट्ज के मतानुसार एक अच्छे सन्दर्भ पुस्तकालयाध्यक्ष को एक अच्छा मानव होना चाहिए। पाठकों के द्वारा कभी भी उससे सम्पर्क स्थापित किया जा सकें, और वह सहानुभूतिपूर्ण एवं मित्रतापूर्ण माहौल में पाठक के प्रश्न को सुने, उस पर विभिन्न दृष्टिकोण से सोचें, समझें तथा उसे उत्तर देकर समय में संतुष्ट करें। वास्तव में पाठकों की सहायता के लिये सदैव तत्पर रहना चाहिए।

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